#सुरक्षा की स्थिति
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लखनऊ, 21.09.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज, ऐशबाग, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 22 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं श्रीमती सरिता पाण्डे, श्रीमती बिन्दू शर्मा, श्रीमती विजय लक्ष्मी एवं रेड ब्रिगेड से प्रशिक्षिका ने दीप प्रज्वलित किया ।
गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज की शिक्षिका श्रीमती सरिता पाण्डे ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “आज के आत्मरक्षा कार्यक्रम ने हमारी बेटियों में आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की है । यह केवल एक प्रशिक्षण सत्र नहीं था, बल्कि जीवन जीने की एक नई दिशा थी । आत्मरक्षा के इस महत्वपूर्ण पाठ ने उन्हें न केवल शारीरिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत किया । आत्मरक्षा सिर्फ बाहरी खतरों से सुरक्षा नहीं है, बल्कि यह अपने आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा का भी एक साधन ��ै । हमारी बेटियां अब आत्मरक्षा के साथ-साथ आत्मनिर्भरता का भी पाठ सीख चुकी हैं । यह कार्यक्रम उन्हें हर उस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है, जहां उन्हें खुद को साबित करने का मौका मिलेगा । समाज में ऐसे कार्यक्रमों की अहमियत इसलिए है क्योंकि यह न केवल नारी सशक्तिकरण को बल देते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि हमारी बेटियां अपनी सुरक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक रहें । हम आशा करते हैं कि वे इन सीखों को जीवनभर संजोएंगी और समाज में एक प्रेरणास्त्रोत बनेंगी ।"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से कुशल प्रशिक्षिकाओं ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं श्रीमती सरिता पाण्डे, श्रीमती बिन्दू शर्मा, श्रीमती विजय लक्ष्मी, श्रीमती मनीषा दीक्षित, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से प्रशिक्षिकाओं तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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शायरी, कविता, नज़्म, गजल, सिर्फ दिल्लगी का मसला नहीं हैं। इतिहास गवाह है कि कविता ने हमेशा इंसान को सांस लेने की सहूलियत दी है। जब चारों ओर से दुनिया घेरती है; घटनाओं और सूचनाओं के तेज प्रवाह में हमारा विवेक चीजों को छान-घोंट के अलग-अलग करने में नाकाम रहता है; और विराट ब्रह्मांड की शाश्वत धक्कापेल के बीच किसी किस्म की व्यवस्था को देख पाने में असमर्थ आदमी का दम घुटने लगता है; जबकि उसके पास उपलब्ध भाषा उसे अपनी स्थिति बयां कर पाने में नाकाफी मालूम देती है; तभी वह कविता की ओर भागता है। जर्मन दार्शनिक विटगेंस्टाइन कहते हैं कि हमारी भाषा की सीमा जितनी है, हमारा दुनिया का ज्ञान भी उतना ही है। यह बात कितनी अहम है, इसे दुनिया को परिभाषित करने में कवियों के प्रयासों से बेहतर समझा जा सकता है।
कबीर को उलटबांसी लिखने की जरूरत क्यों पड़ी? खुसरो डूबने के बाद ही पार लगने की बात क्यों कहते हैं? गालिब के यहां दर्द हद से गुजरने के बाद दवा कैसे हो जाता है? पाश अपनी-अपनी रक्त की नदी को तैर कर पार करने और सूरज को बदनामी से बचाने के लिए रात भर खुद जलने को क्यों कहते हैं? फैज़ वस्ल की राहत के सिवा बाकी राहतों से क्या इशारा कर रहे हैं? दरअसल, एक जबरदस्त हिंसक मानवरोधी सभ्यता में मनुष्य अपनी सीमित भाषा को ही अपनी सुरक्षा छतरी बना कर उसे अपने सिर के ऊपर तान लेता है। उसकी छांव में वह दुनियावी कोलाहल को अपने ढंग से परिभाषित करता है, अपनी ठोस राय बनाता है और उसके भीतर अपनी जगह तय करता है। एक कवि और शायर ऐसा नहीं करता। वह भाषा की तनी हुई छतरी में सीधा छेद कर देता है, ताकि इस छेद से बाहर की दुनिया को देख सके और थोड़ी सांस ले सके। इस तरह वह अपने विनाश की कीमत पर अपने अस्तित्व की संभावनाओं को टटोलता है और दुनिया को उन आयामों में संभवत: समझ लेता है, जो आम लोगों की नजर से प्रायः ओझल होते हैं।
भाषा की सीमाओं के खिलाफ उठी हुई कवि की उंगली दरअसल मनुष्यरोधी कोलाहल से बगावत है। गैलीलियो की कटी हुई उंगली इस बगावत का आदिम ��्रतीक है। जरूरी नहीं कि कवि कोलाहल को दुश्मन ही बनाए। वह उससे दोस्ती गांठ कर उसे अपने सोच की नई पृष्ठभूमि में तब्दील कर सकता है। यही उसकी ताकत है। पाश इसीलिए पुलिसिये ��ो भी संबोधित करते हैं। सच्चा कवि कोलाहल से बाइनरी नहीं बनाता। कविता का बाइनरी में जाना कविता की मौत है। कोलाहल से शब्दों को खींच लाना और धूप की तरह आकाश पर उसे उकेर देना कवि का काम है।
कुमाऊं के जनकवि गिरीश तिवाड़ी ‘गिरदा’ इस बात को बखूबी समझते थे। एक संस्मरण में वे बताते हैं कि एक जनसभा में उन्होंने फ़ैज़ का गीत 'हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे' गाया, तो देखा कि कोने में बैठा एक मजदूर निर्विकार भाव से बैठा ही रहा। उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा, गोया कुछ समझ ही न आया हो। तब उन्हें लगा कि फ़ैज़ को स्थानीय बनाना होगा। कुमाऊंनी में उनकी लिखी फ़ैज़ की ये पंक्तियां उत्तराखंड में अब अमर हो चुकी हैं: ‘हम ओढ़, बारुड़ी, ल्वार, कुल्ली-कभाड़ी, जै दिन यो दुनी धैं हिसाब ल्यूंलो, एक हांग नि मांगूं, एक भांग नि मांगू, सब खसरा खतौनी किताब ल्यूंलो।'
प्रेमचंद सौ साल पहले कह गए कि साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है, लेकिन उसे हमने बिना अर्थ समझे रट लिया। गिरदा ने अपनी एक कविता में इसे बरतने का क्या खूबसूरत सूत्र दिया है:
ध्वनियों से अक्षर ले आना क्या कहने हैं
अक्षर से फिर ध्वनियों तक जाना क्या कहने हैं
कोलाहल को गीत बनाना क्या कहने हैं
गीतों से कोहराम मचाना क्या कहने हैं
प्यार, पीर, संघर्षों से भाषा बनती है
ये मेरा तुमको समझाना क्या कहने हैं
कोलाहल को गीत बनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? डेल्यूज और गटारी अपनी किताब ह्वॉट इज फिलोसॉफी में लिखते हैं कि दो सौ साल पुरानी पूंजी केंद्रित आधुनिकता हमें कोलाहल से बचाने के लिए एक व्यवस्था देने आई थी। हमने खुद को भूख या बर्बरों के हाथों मारे जाने से बचाने के लिए उस व्यवस्था का गुलाम बनना स्वीकार किया। श्रम की लूट और तर्क पर आधारित आधुनिकता जब ढहने लगी, तो हमारे रहनुमा ही हमारे शिकारी बन गए। इस तरह हम पर थोपी गई व्यवस्था एक बार फिर से कोलाहल में तब्दील होने लगी। इसका नतीजा यह हुआ है कि वैश्वीकरण ने इस धरती पर मौजूद आठ अरब लोगों की जिंदगी और गतिविधियों को तो आपस में जोड़ दिया है लेकिन इन��हें जोड़ने वाला एक साझा ऐतिहासिक सूत्र नदारद है। कोई ऐसा वैचारिक ढांचा नहीं जिधर सांस लेने के लिए मनुष्य देख सके। आर्थिक वैश्वीकरण ने तर्क आधारित विवेक की सार्वभौमिकता और अंतरराष्ट्रीयतावाद की भावना को तोड़ डाला है। ऐसे में राष्ट्रवाद, नस्लवाद, धार्मिक कट्टरता आदि हमारी पहचान को तय कर रहे हैं। इतिहास मजाक बन कर रह गया है। यहीं हमारा कवि और शायर घुट रहे लोगों के काम आ रहा है।
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पाक में इमरान के दिवानों का हंगामा!
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में होने के बावजूद राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं के केंद्र में हैं। उनकी पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), देशभर में प्रदर्शन कर रही है, जिसमें उनकी पत्नी बुशरा बीबी भी शामिल हैं। इस्लामाबाद में सख्त सुरक्षा और इंटरनेट बंदी के बावजूद, इमरान के समर्थक उनकी रिहाई के लिए संघर्षरत हैं। हालात को और तनावपूर्ण बनाते हुए, सरकार को विपक्ष के विरोध और अंतर्राष्ट्रीय दबाव दोनों का सामना करना पड़ रहा है।
देश में कमजोर अर्थव्यवस्था, आतंकवादी हमले और राजनीतिक अस्थिरता ने शहबाज शरीफ सरकार की स्थिति को और खराब कर दिया है। सेना का दबदबा बढ़ता जा रहा है, और इमरान खान को राजनीति से दूर रखने की कोशिशें जारी हैं। जनता का समर्थन मिलने के बावजूद, इमरान के लिए चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं।
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर भीषण हादसा: पांच युवा डॉक्टरों की दर्दनाक मौत
बुधवार तड़के सुबह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुए एक भीषण सड़क हादसे में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के पांच युवा डॉक्टरों की जान चली गई। स्कॉर्पियो कार में सवार इन डॉक्टरों की गाड़ी डिवाइडर को तोड़ते हुए दूसरी लेन में चली गई, जहां वह एक तेज़ रफ्तार ट्रक से टकरा गई। हादसा इतना भयंकर था कि कार के परखच्चे उड़ गए और मौके पर ही पांचों डॉक्टरों की मौत हो गई। कार में सवार एक अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कैसे हुआ हादसा? पुलिस के अनुसार, यह हादसा सुबह करीब तीन बजे कन्नौज जिले की सीमा में हुआ। स्कॉर्पियो लखनऊ की ओर से आ रही थी जब वह अचानक डिवाइडर पार कर आगरा जाने वाली लेन में पहुंच गई। इसी दौरान एक तेज़ गति से आते ट्रक ने उसे टक्कर मार दी। टक्कर के बाद स्कॉर्पियो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। मृतकों की पहचान हादसे में मारे गए डॉक्टरों में से चार की पहचान हो चुकी है: - डॉ. अनिरुद्ध वर्मा: आगरा के राधा विहार एक्सटेंशन, कमला नगर निवासी और पवन कुमार वर्मा के बेटे। - डॉ. नरदेव गंगवार: बरेली जिले के नवाबगंज निवासी और लखन सिंह गंगवार के बेटे। - डॉ. अरुण कुमार: कन्नौज के मोतीपुर निवासी और अंगद लाल के बेटे। - डॉ. संतोष मौर्य: संत रविदास नगर (भदोही) निवासी और जीत नारायण मौर्य के बेटे। पांचवें मृतक की शिनाख्त की जा रही है। एक घायल व्यक्ति की स्थिति गंभीर स्कार्पियो में सवार मुरादाबाद निवासी जयवीर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। घटनास्थल पर मातम हादसे की सूचना पाकर सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारी, मेडिकल स्टूडेंट्स और जूनियर डॉक्टर बड़ी संख्या में घटनास्थल पर पहुंचे। पूरे माहौल में गम और सन्नाटा पसरा रहा। डॉक्टरों और स्टाफ ने मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। पुलिस की प्रारंभिक जांच कन्नौज पुलिस ने आशंका जताई है कि स्कॉर्पियो के ड्राइवर को झपकी आने के कारण यह हादसा हुआ। पुलिस ने क्षतिग्रस्त वाहन से शवों को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही मृतकों के परिजनों को सूचित कर दिया गया है। सड़क सुरक्षा पर सवाल सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता के. सी. जैन ने इस घटना पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह हादसा हमारी सड़क सुरक्षा प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करता है। एक्सप्रेसवे जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर सुरक्षा मानकों को मजबूत करना अनिवार्य है। बेहतर ट्रैफिक मॉनिटरिंग और ड्राइवरों के लिए विश्राम स्थलों की व्यवस्था जैसी योजनाएं लागू की जानी चाहिए।” आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुई इस दर्दनाक दुर्घटना ने सड़क सुरक्षा को लेकर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हादसा उन सभी एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है, जो एक्सप्रेसवे की देखरेख और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, और इसके लिए सामूहिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। Read the full article
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ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम आवास योजना का लाभ कैसे दिया जाता है, जानिए नए लाभार्थी लाभ लेने के लिए क्या कर सकते है
PM Awas Yojan Gramin : हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका एक पक्का और सुरक्षित घर हो, जहां वह अपने परिवार के साथ सुकून से रह सके। हमारे देश में लाखों लोग आज भी कच्चे मकानों या घर के अभाव में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। ऐसे परिवारों को मदद पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की श���रुआत की गई। यह योजना उन लोगों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, जो आर्थिक तंगी के कारण अपना घर नहीं बनवा पा रहे थे। इस लेख में आपक की नई सूची, पात्रता, आवेदन प्रक्रिया, और आवश्यक दस्तावेजों की पूरी जानकारी दी जाएगी। आप जानेंगे कि इस योजना के तहत आपको क्या फायदे मिल सकते हैं और अपना नाम सूची में कैसे देख सकते हैं। अगर आप इस योजना का लाभ उठाने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी होगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का उद्देश्य और लाभ
इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जरूरतमंद और गरीब परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराना है। सरकार मैदानी क्षेत्रों के लाभार्थियों को ₹1.20 लाख और पहाड़ी इलाकों के लिए ₹1.30 लाख की आर्थिक मदद प्रदान करती है। इससे उन्हें अपना घर बनाने में मदद मिलती है। पक्के मकान से न केवल प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिलती है, बल्कि यह परिवारों के जीवन स्तर को भी सुधारता है। यह योजना सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में एक अहम कदम है। पात्रता और शर्तें प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का लाभ वही लोग उठा सकते हैं, जिनके पास पहले से पक्का मकान नहीं है। इस योजना के लिए आवेदक का ग्रामीण क्षेत्र का निवासी होना जरूरी है। आवेदन करते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो। साथ ही, आवेदक की वार्षिक आमदनी ₹6 लाख से कम होनी चाहिए। इसके अलावा, आवेदक के पास बड़ी कृषि भूमि, मोटर वाहन या अन्य कीमती संपत्ति नहीं होनी चाहिए। इन मानदंडों को पूरा करने वाले लोग इस योजना के तहत घर बनाने के लिए आर्थिक मदद प्राप्त कर सकते हैं। आवश्यक दस्तावेज प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लिए आवेदन करते समय आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों की जरूरत होती है। ये दस्तावेज यह सुनिश्चित करते हैं कि आवेदक पात्र है और सही जानकारी प्रदान कर रहा है। इन दस्तावेजों को स्कैन करके ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के दौरान अपलोड करना होता है। सही और पूरी जानकारी देने से आपका आवेदन बिना किसी परेशानी के स्वीकार किया जा सकता है। लाभार्थी सूची में नाम कैसे देखें प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की नई सूची देखने के लिए आपको योजना की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा। वेबसाइट पर 'आवाससॉफ्ट' विकल्प का चयन करके 'रिपोर्ट' सेक्शन में जाएं। वहां अपने राज्य, जिले, ब्लॉक और पंचायत का चयन करके कैप्चा कोड भरें। इसके बाद आपको पूरी सूची दिखाई देगी, जिसमें आप अपना नाम चेक कर सकते हैं। यह प्रक्रिया सरल और सीधी है, जि���से हर व्यक्ति आसानी से अपने आवेदन की स्थिति देख सकता है। आवेदन कैसे करें इस योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। आपको योजना की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर एक आवेदन पत्र भरना होता है। इसमें अपनी व्यक्तिगत जानकारी और दस्तावेज अपलोड करने होते हैं। आवेदन के बाद, आपको एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा, जिससे आप अपनी आवेदन की स्थिति समय-समय पर देख सकते हैं। आवेदन करते समय सभी जानकारी सही भरना बेहद जरूरी है, क्योंकि गलत जानकारी देने पर आपका आवेदन रद्द हो सकता है। Read the full article
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ
लखनऊ, 14.03.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 81 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल ने कहा कि आज इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में हमारे कुशल प्रशिक्षक आपको आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगे । ये गुर आपको किसी भी आपात स्थिति से निकलने में मदद करेंगे ताकि भविष्य में आप उन्हें उपयोग करके अपनी सुरक्षा कर सकें । आज मैं आप सभी से यह कहना चाहूंगी कि आपके जीवन में कोई भी परेशानी आए, आपको किसी भी विषम परिस्थिति से गुजरना पड़े, कभी निराश मत होना, कभी हार मत मानना | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | हम सब मिलकर आपकी समस्या का समाधान निकालेंगे |
प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि "हम सभी यहाँ आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रहे हैं । कई बार हमें लगता है कि लड़कियाँ कमजोर होती हैं लेकिन हमें इस बात को गलत साबित करना है हमें यह दिखाना है कि हम सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत हैं एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त करके हम और अधिक ऊर्जावान हो जाएंगे एवं महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ।"
डॉ. प्राची श्रीवास्तव ने कहा कि, हमें आत्मरक्षा प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों है ? ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल की महिलाएं अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए अधिक जागरूक हैं । वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण की तकनीकों को सीखकर अपनी सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम हो रही हैं । सेल्फ डिफेन्स को सीखने का महत्व इसलिए है कि इससे लोग सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करते हैं । हमें कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए अगर हमारे साथ कोई अपराध कर रहा है । हमें स्थिति का सामना करने और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए । मैं अपने इंस्टीट्यूट के छात्राओं से अनुरोध करती हूँ कि वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण को प्राप्त करें क्योंकि इससे उनकी सुरक्षा में वृद्धि होगी, और वे अपने आत्मविश्वास को भी बढ़ा सकेंगी ।
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस से प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल, डॉ. प्राची श्रीवास्तव, डॉ नेहा माथुर, डॉ प्रेक्षी गर्ग, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती तथा एमिटी यूनिवर्सिटी एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ
लखनऊ, 14.03.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 81 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल ने कहा कि आज इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में हमारे कुशल प्रशिक्षक आपको आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगे । ये गुर आपको किसी भी आपात स्थिति से निकलने में मदद करेंगे ताकि भविष्य में आप उन्हें उपयोग करके अपनी सुरक्षा कर सकें । आज मैं आप सभी से यह कहना चाहूंगी कि आपके जीवन में कोई भी परेशानी आए, आपको किसी भी विषम परिस्थिति से गुजरना पड़े, कभी निराश मत होना, कभी हार मत मानन��� | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | हम सब मिलकर आपकी समस्या का समाधान निकालेंगे |
प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि "हम सभी यहाँ आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रहे हैं । कई बार हमें लगता है कि लड़कियाँ कमजोर होती हैं लेकिन हमें इस बात को गलत साबित करना है हमें यह दिखाना है कि हम सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत हैं एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त करके हम और अधिक ऊर्जावान हो जाएंगे एवं महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ।"
डॉ. प्राची श्रीवास्तव ने कहा कि, हमें आत्मरक्षा प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों है ? ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल की महिलाएं अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए अधिक जागरूक हैं । वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण की तकनीकों को सीखकर अपनी सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम हो रही हैं । सेल्फ डिफेन्स को सीखने का महत्व इसलिए है कि इससे लोग सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करते हैं । हमें कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए अगर हमारे साथ कोई अपराध कर रहा है । हमें स्थिति का सामना करने और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए । मैं अपने इंस्टीट्यूट के छात्राओं से अनुरोध करती हूँ कि वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण को प्राप्त करें क्योंकि इससे उनकी सुरक्षा में वृद्धि होगी, और वे अपने आत्मविश्वास को भी बढ़ा सकेंगी ।
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस से प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल, डॉ. प्राची श्रीवास्तव, डॉ नेहा माथुर, डॉ प्रेक्षी गर्ग, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती तथा एमिटी यूनिवर्सिटी एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
#Selfdefenseforwomen #Womenempowerment #Selfdefensetraining #EmpoweringWomen #Personaldefense #Safetyfirst #Safetytips #Strongertogether #ServeHumanity #FairFight
#AmityUniversity #LucknowCampusMalhaur #DrAnilKumarTiwari #DrPrachiSrivastava #DrManjuAgarwal #DrNehaMathur #DrPrekshiGarg
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ
लखनऊ, 14.03.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 81 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल ने कहा कि आज इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में हमारे कुशल प्रशिक्षक आपको आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगे । ये गुर आपको किसी भी आपात स्थिति से निकलने में मदद करेंगे ताकि भविष्य में आप उन्हें उपयोग करके अपनी सुरक्षा कर सकें । आज मैं आप सभी से यह कहना चाहूंगी कि आपके जीवन में कोई भी परेशानी आए, आपको किसी भी विषम परिस्थिति से गुजरना पड़े, कभी निराश मत होना, कभी हार मत मानना | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | हम सब मिलकर आपकी समस्या का समाधान निकालेंगे |
प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि "हम सभी यहाँ आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रहे हैं । कई बार हमें लगता है कि लड़कियाँ कमजोर होती हैं लेकिन हमें इस बात को गलत साबित करना है हमें यह दिखाना है कि हम सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत हैं एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त करके हम और अधिक ऊर्जावान हो जाएंगे एवं महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ।"
डॉ. प्राची श्रीवास्तव ने कहा कि, हमें आत्मरक्षा प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों है ? ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल की महिलाएं अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए अधिक जागरूक हैं । वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण की तकनीकों को सीखकर अपनी सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम हो रही हैं । सेल्फ डिफेन्स को सीखने का महत्व इसलिए है कि इससे लोग सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करते हैं । हमें कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए अगर हमारे साथ कोई अपराध कर रहा है । हमें स्थिति का सामना करने और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए । मैं अपने इंस्टीट्यूट के छात्राओं से अनुरोध करती हूँ कि वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण को प्राप्त करें क्योंकि इससे उनकी सुरक्षा में वृद्धि होगी, और वे अपने आत्मविश्वास को भी बढ़ा सकेंगी ।
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस से प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल, डॉ. प्राची श्रीवास्तव, डॉ नेहा माथुर, डॉ प्रेक्षी गर्ग, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती तथा एमिटी यूनिवर्सिटी एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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वसीयत बनाने के नियम क्या हैं?
वसीयत (Will) एक कानूनी दस्तावेज है, जिसमें वसीयतकर्ता (Will maker) अपनी संपत्ति के वितर��� के संबंध में अपनी इच्छाओं को दर्शाता है। वसीयत बनाने के कुछ सामान्य नियम इस प्रकार हैं:
वसीयतकर्ता की आयु: वसीयत बनाने वाले व्यक्ति की आयु सामान्यतः 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
मानसिक क्षमता: वसीयतकर्ता को मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए। इसका मतलब है कि उसे अपनी संपत्ति और उसके वितरण के संबंध में समझदारी से निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए।
स्वेच्छिकता: वसीयत होनी चाहिए कि उसे स्वेच्छा से बना��ा गया है, कोई दबाव या धमकी नहीं होनी चाहिए।
लिखित रूप: वसीयत को लिखित रूप में होना चाहिए। मौखिक वसीयत (verbal will) को आमतौर पर मान्यता नहीं दी जाती है।
गवाहों की उपस्थिति: वसीयत पर सामान्यतः दो गवाहों का हस्ताक्षर होना चाहिए। गवाहों को वसीयतकर्ता के सामने हस्ताक्षर करना चाहिए, और उन्हें वसीयत के विषय में ज्ञान नहीं होना चाहिए।
हस्ताक्षर: वसीयत को वसीयतकर्ता द्वारा हस्ताक्षर किया जाना चाहिए। यदि वसीयतकर्ता अपने हाथों से हस्ताक्षर नहीं कर सकता, तो वह अपने नाम का एक अन्य व्यक्ति के द्वारा पोषण करवा सकता है, लेकिन यह भी गवाहों के सामने होना चाहिए।
तारीख़ और स्थान: वसीयत में उसके निर्माण की तारीख़ और स्थान का उल्लेख होना चाहिए। यह किसी विवाद की स्थिति में मदद करेगा।
संपत्ति का विवरण: वसीयत में वसीयतकर्ता द्वारा दी जा रही सम्पत्ति का स्पष्ट विवरण होना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की अस्पष्टता न रहे।
वसीयत का नवीनीकरण: वसीयत को समय-समय पर नवीनीकरण करने की आवश्यकता हो सकती है, विशेषकर यदि व्यक्ति की संपत्ति या परिस्थिति में परिवर्तन हो। नए वसीयत को पहले की वसीयत को निरस्त करने के आदेश के साथ उत्तरीत करना चाहिए।
न्यायालय में पंजीकरण: जबकि वसीयत का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे न्यायालय में पंजीकृत करवाना अधिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
इन नियमों का पालन करके बनाई गई वसीयत कानूनी दृष्टि से मान्य मानी जाती है। हालांकि, अलग-अलग अधिकारिकता और कानूनों के अनुसार ये नियम भिन्न हो सकते हैं, इसलिए संबंधित स्थानीय कानूनों की जांच करना भी महत्वपूर्ण है।
Advocate Karan Singh (Kanpur Nagar) [email protected] 8188810555, 7007528025
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज, सहादतगंज, लखनऊ
लखनऊ, 06.04.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज, सहादतगंज, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 179 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं श्रीमती विनीता सिंह, श्रीमती अनुराधा राव एवं रेड ब्रिगेड से महिमा शुक्ला ने दीप प्रज्वलित किया |
कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज की शिक्षिका श्रीमती विनीता सिंह ने हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, "महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए यह जरूरी है कि हम अपने समाज में लैंगिक भेदभाव की कुप्रथा को खत्म कर दें । अपने बच्चों को यह संस्कार दे कि वह आगे चलकर समाज में महिलाओं को बराबरी का हक दें तथा उनका सम्मान करें | आज हमारे समाज की स्थिति यह है कि महिलाएं घर, ऑफिस, सड़क यहां तक कि अस्पताल, ट्रेन और हवाई जहाज में भी सुरक्षित नहीं है | एक अकेली महिला या बालिका को सड़क पर अकेले निकलने से डर लगता है | आज की तकनीकी दुनिया में हमने अपने दिमाग का विस्तार तो किया है लेकिन अपनी सोच का विस्तार नहीं किया | किसी भी विपरीत परिस्थिति में अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है और हम बहुत आभारी हैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से आए हुए प्रशिक्षकों एवं स्वयंसेवकों के जिन्होंने हमारे स्कूल में यह आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया | मुझे पूर्ण विश्वास है इस कार्यशाला में सिखाए गए आत्मरक्षा के गुर आपके भविष्य में आपको किसी भी विपरीत परिस्थिति से बचाएंगे तथा आपके आत्मविश्वास में वृद्धि करेंगे |"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका महिमा शुक्ला ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं श्रीमती विनीता सिंह, श्रीमती अनुराधा राव, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, महिमा शुक्ला तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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India-China Relation: सेना हटने के बाद पहली बार मिले भारत-चीन के रक्षा मंत्री, लाओस आसियान शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय बैठक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले सप्ताह लाओस की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं, जहां वह 10 देशों के समूह आसियान और उसके कुछ वार्ता साझेदारों के समूह की बैठक में भाग ले रहे हैं। आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लाओस में 11वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM Plus) के दौरान चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ द्विपक्षीय बैठक की। लेंगे। बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर…
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लखनऊ, 23.07.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 155 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ कुसुम लता राय तथा शिक्षिकाओं एवं रेड ब्रिगेड से प्रशिक्षिकाओं ने दीप प्रज्वलित किया ।
यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ कुसुम लता राय ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “जो आत्मरक्षा के गुर आप को सिखाए गए हैं, उनका उपयोग केवल आवश्यक होने पर ही करें । याद रखें आत्मरक्षा का उद्देश्य केवल खुद को सुरक्षित रखना है न कि किसी से लड़ाई करना । आप सभी किसी भी स्थिति में खुद को बचा सकते हैं, परंतु इस ज्ञान का उपयोग सोच-समझकर और सही समय पर ही करें । आत्मरक्षा के ये कौशल आपको मजबूती और आत्मविश्वास देंगे, लेकिन इसे अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ अपनाना चाहिए । हम सभी का कर्तव्य है कि समाज की बालिकाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें । मेरा पूर्ण विश्वास है कि आज की यह कार्यशाला आपके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएगी और आपको एक नई दिशा दिखाएगी ।“
आत्मरक्षा प्रशिक्षण में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से कुशल प्रशिक्षिकाओं ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में यशोदा रस्तोगी गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ कुसुम लता राय, शिक्षिकाओं श्रीमती अर्पणा त्रिपाठी, श्रीमती पूनम शंकर, श्रीमती गीता मिश्रा, डॉ अर्चना सिंह, श्रीमती मीना वर्मा, श्रीमती रश्मी पांडे, श्रीमती शैलजा सिंह, श्रीमती मंजू चौधरी, श्रीमती संगीता शुक्ला, श्रीमती सुनीता दोहरे, श्रीमती उषा देवी, श्रीमती शची सिंह, श्रीमती संध्या गुप्ता, श्रीमती राजकृष्ण राज, श्रीमती सीमा राव, श्रीमती अंजलि पाण्डे, श्रीमती अर्चना सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से प्रशिक्षिकाओं तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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कल का मौसम
यहाँ पर भारत के सभी राज्यों और शहरों का कल का मौसम कैसा रहेगा, इसकी पूरी जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही, आप अगले 7, 10, और 15 दिनों में मौसम में किस प्रकार के बदलाव देखने को मिल सकते हैं, इसका पूर्वानुमान भी जान सकते हैं। तो यदि आप कल के सटीक मौसम पूर्वानुमान को जानना चाहते हैं, तो इस पेज को ध्यान से पढ़ें। हम यहाँ पर मौसम से जुड़ी पूरी जानकारी प्रदान करेंगे, जो आपको किसी भी संभावित बदलाव के लिए तैयार रहने में मदद कर सकती है।
मौसम और हवा का मिजाज कभी भी बदल सकता है, इसलिए मौसम जानना और अद्यतित रहना आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
जैसी वेबसाइटें मौसम की सटीक जानकारी हासिल करने का एक आसान जरिया बन गई हैं। हमारी वेबसाइट पर नियमित रूप से विजिट करके, आप आने वाले 10/15 दिनों के मौसम का हाल भी जान सकते हैं।
अगर आप कल का मौसम कैसा रहेगा यह पहले से जान लें, तो आप अपने कामकाज को बेहतर ढंग से योजना बना सकते हैं। चाहे आप कहीं घूमने जा रहे हों या किसी बाहरी गतिविधि की योजना बना रहे हों, मौसम की जानकारी से आप अपने अनुभव को सुरक्षित और परेशानी-मुक्त बना सकते हैं।
कल का मौसम का हाल जानने के फायदे
चाहे कल का मौसम जानना हो, आने वाले दिनों का पूर्वानुमान देखना हो, या फिर बीते हुए मौसम की जानकारी लेना हो, इसका लाभ सभी को मिलता है। हमारे देश में कृषि कार्य और किसानों के लिए मौसम का हाल जानना और कल के मौसम का पूर्वानुमान बेहद जरूरी है। इसी तरह, सरकार के विभिन्न विभागों, एयरलाइंस, निर्माण कार्य, समुद्री परिवहन, सड़क परिवहन, और यात्रा से जुड़े लगभग हर क्षेत्र के लिए भी मौसम की सटीक जानकारी आवश्यक होती है। इसी वजह से हम आपके लिए लाए हैं शहर और गांव के कल का मौसम और आने वाले दिनों की जानकारी, आपकी अपनी भाषा में। आइए जानें कि कल के मौसम का हाल जानना विभिन्न लोगों के लिए किस तरह फायदेमंद साबित हो सकता है।
मौसम के प्रकार
दुनिया भर के देशों में आमतौर पर चार प्रकार का मौसम माना जाता है: वसंत का मौसम (Spring), ग्रीष्म का मौसम (Summer), वर्षा ऋतु का मौसम (Rains), और शिशिर ऋतु (Winters)। हमारे देश भारत में इसके अलावा दो और मौसम ऋतुएँ होती हैं: शरद ऋतु का मौसम (Autumn) और हेमंत ऋतु का मौसम (Pre Winters)। इसलिए, भारत का मौसम संसार के सभी देशों में सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यहाँ हर मौसम अपने चरम पर न जाकर हल्का-फुल्का रहता है।
भारत के मौसम की प्रकृति और जलवायु में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों ही मौसम की विशेषताएँ हैं, क्योंकि कर्क रेखा इस देश के मध्य से होकर गुजरती है। पश्चिम में कच्छ का रण और पूर्व में मिजोरम है। भारत का दक्षिणी हिस्सा उष्णकटिबंधीय मौसम में आता है, जबकि उत्तरी हिस्सा उपोष्णकटिबंध अथवा कोष्ण शीतोष्ण कटिबंध मौसम में माना जाता है।
आसन्न मौसम की स्थिति से फसलों और आजीविका की सुरक्षा
किसानों के लिए मौसम की जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनकी फसलों और आजीविका की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। सही मौसम पूर्वानुमान से किसान आगामी बारिश, धूप, ठंड, या गर्मी के बारे में जान सकते हैं, जिससे वे समय पर सिंचाई, उर्वरक का उपयोग, और फसल की कटाई कर सकते हैं।
भारत के राज्यों के मौसम का पूर्वानुमान
भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं, जो उत्तर, दक्षिण, पूर्व, और पश्चिम भारत में फैले हुए हैं। इस भौगोलिक विविधता के कारण, हर क्षेत्र में मौसम का मिजाज अलग-अलग होता है। लोग अपने-अपने राज्यों में कल का मौसम जानने के लिए उत्सुक रहते हैं ताकि वे अपनी दिनचर्या और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ बना सकें। नीचे दी गई जानकारी में आप अपने क्षेत्र के आगामी सात दिनों के मौसम का हाल जान सकते हैं, जो आपको प्राकृतिक आपदाओं से बचाव और अन्य सावधानियों के लिए समय रहते तैयारी करने में मदद करेगी।
प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए जानें अगले दिनों का मौसम का मिजाज
प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए अगले दिनों के मौसम का मिजाज समझना बेहद जरूरी है। समय पर मिली मौसम की जानकार�� से आप बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, और लू जैसी आपदाओं से पहले ही सतर्क हो सकते हैं। सटीक पूर्वानुमान से आप आवश्यक तैयारियाँ कर सकते हैं, जैसे सुरक्षित स्थान पर जाना, आपातकालीन किट तैयार करना, और जरूरी सामान का भंडारण करना।
Source: https://kalkamosam.com/
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अपने राजमार्गों के हादसे कब रूकेंगे?
भारत में सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों की स्थिति चिंताजनक है। राजमार्गों और सड़कों के निर्माण में तेजी आई है, लेकिन इनकी गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर ध्यान नहीं दिया जाता। सड़कों पर हादसों की बढ़ती संख्या इसके लचर कानूनों और कमजोर निगरानी का परिणाम है। सरकार और ट्रैफिक पुलिस को सख्ती से नियम लागू करने और नियमित जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।
सड़क सुरक्षा को लेकर विदेशों की सड़कों पर कड़ी निगरानी और नियमों का पालन देखने को मिलता है, जबकि भारत में यह स्थिति अलग है। यहां कैमरे केवल गति पर नजर रखते हैं, जबकि अन्य उल्लंघनों पर ध्यान नहीं दिया जाता। कड़े नियम, बेहतर तकनीकी उपाय, और जागरूकता अभियान ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी ला सकते हैं।
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E-4B 'नाइटवॉच' को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा में एक प्रमुख खिलाड़ी क्या बनाता है?
E-4B ‘नाइटवॉच’ (चित्र साभार: अमेरिकी वायु सेना) जबकि एयर फ़ोर्स वन को अक्सर अमेरिकी राष्ट्रपति के “फ्लाइंग ओवल ऑफिस” के रूप में पहचाना जाता है, वहीं E-4B “नाइटवॉच” राष्ट्रीय सुरक्षा में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अक्सर “उड़ान युद्ध कक्ष” के रूप में जाना जाता है, इस अत्यधिक विशिष्ट विमान को परमाणु संकट की स्थिति में राष्ट्रपति, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रमुख सैन्य नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित…
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : तालीम गाह-ए-निस्वां इंटर कॉलेज, जगत नारायण रोड, लखनऊ
लखनऊ, 29.04.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में तालीम गाह-ए-निस्वां इंटर कॉलेज, जगत नारायण रोड, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 49 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना । कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ |
तालीम गाह-ए-निस्वां इंटर कॉलेज की शिक्षिका कहकशां फारूकी जी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “आज के समय में जीवन के हर एक पल में हम कुछ नया सीखते हैं । हर एक अनुभव हमें एक सीख देता है और हमें और मजबूत बनाता है । जब हम कुछ नया सीखते हैं तो हमारे अंतर्मन में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न होती है जो हमें भविष्य में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है | आज आप सभी को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के गुर सिखाये जा रहे हैं तथा मेरा यह मानना है कि आप सभी को भविष्य में इन तकनीकों का उपयोग करके अपनी स्थिति को मजबूती से संभालने का संकल्प करना चाहिए । हमें इस दिशा में अपने कदम बढ़ाने की आवश्यकता है कि हम खुद को तैयार करें अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर हों और परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें । हमें स्वयं पर विश्वास करना है और अपने अंदर यह संकल्प लेना है कि हम किसी भी मुश्किल से निपट सकते हैं ।“
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में तालीम गाह-ए-निस्वां इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या फरहीन शाहिद जी, शिक्षिकाओं निगहत जमाल जी, नाहिद सिद्दीकी जी, शबाना रूही जी, कहकशां फारूकी जी, रिज़वाना खातून जी, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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